Hindi sad poetry : अब तुम इधर के नहीं और मैं उधर का नहीं - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Friday, May 03, 2019

Hindi sad poetry : अब तुम इधर के नहीं और मैं उधर का नहीं - Ranjan Kumar

इस पार और उस पार के बीच 
एक सेतू था तेरा जिस्म ,
जहाँ संवाद मुमकिन था !


sad-man

कैसे करूँ कोई संवाद ?
अब तुम इधर के नहीं
और मैं उधर का नहीं !!


- रंजन कुमार 

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