Hindi Emotional Inspiring life poetry : घर लौट चल पंछी बसेरे में - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

Breaking

Friday, May 03, 2019

Hindi Emotional Inspiring life poetry : घर लौट चल पंछी बसेरे में - Ranjan Kumar

sunset time flying bird

घर लौट चल पंछी 
बसेरे में 
हुयी अब शाम 
सूरज डूबता है ,


फिर निकलना है 
तुझे कल
सूरज से पहले
और
फिर से दाने ढूँढना है !


क्रम रोज का यह
अनवरत चलता रहेगा ,
सोच ले यह भी
की तू खुद के लिए
कभी भी क्या जियेगा ?


नीड़ की परवाह है
क्या आंधियो में ..
सोच अब तू क्या करेगा ?


पुरुषार्थ कर या फिर दुयाएँ
पर नहीं कोई जोर तेरा ,
आंधियो पर !


तो क्या नियति ही ..
जो करेगा वह करेगा ?


घर लौट चल पंछी 
बसेरे में 
हुयी अब शाम 
सूरज डूबता है..!

- रंजन कुमार

No comments:

Post a Comment