Love poem : वह चाँद आसमान का,महज एक टुकड़ा भर है तेरा हमदम - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Wednesday, May 08, 2019

Love poem : वह चाँद आसमान का,महज एक टुकड़ा भर है तेरा हमदम - Ranjan Kumar

Ranjan-Alpana

सुनो जानम,
मैने तुम्हें मोहब्बत में 
कभी चाँद का 
टुकड़ा नहीं कहा..

क्योंकि 

आसमान का वह चाँद 
बेनूर है,बे नजाकत है 
मगरूर है..!


Alpana


वह तो बेवजह ही 

सिर्फ 
दिलजलों के कारण 
धरती पर मशहूर है..!

तेरी आँखों की 

सब मस्त शोखियाँ,
ये बेपनाह हुस्न,
नजाकत,ये अदाएं,


Ranjan-Alpana


उठती और गिरती 

पलकों की ये चिलमनें, 
तेरी पलकों में लिपटी 
काजल जैसे ..
आसमां की आकाशगंगाएं..

इसलिए बेझिझक 

कहता हूं मैं 
उस चाँद की 
क्या हस्ती है...

Ranjan-Alpana

तू एक चाँद का 
टुकड़ा भर ही नही मेरे लिए ..
बल्कि वह चाँद आसमान का,
महज एक टुकड़ा भर है 
तेरा हमदम... !!

रंजन कुमार
(सप्रेम सस्नेह आज 08 मई 19 को शादी की अपने 24वीं सालगिरह पर भेंट अपने जीवन  सहचरी सुश्री अल्पना मिश्रा जी को)

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