Hindi Love Poem : खुश्बू तेरी आयी है या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Sunday, May 12, 2019

Hindi Love Poem : खुश्बू तेरी आयी है या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ - Ranjan Kumar

khushbu


खुश्बू तेरी आयी है
या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ ?

नज़ारे बहके बहके हैं
हवाएं महकी महकी हैं !

नया कुछ होनेवाला है
मेरा दिल ये कहता है ,

परिंदे चहके चहके हैं
घटायें बहकी बहकी हैं !

बड़ा रंगीन है मौसम ,
बड़ी मादक हवाएं हैं ..

तेरी जुल्फों की खुश्बू सी
यहाँ सुरभित फिजाएँ हैं !

अभी फूलों की झुरमुट से
निकल आएगी तू पल में ..!

लिपट जाएगी तू आकर ,
मुझें कहती घटायें  हैं ..!

khushbu-teri

मै हूँ मदहोश होता अब ,
लो अपना होश खोता अब ..

सुरों ने तान क्या छेड़ा ..
सितारे सहके सहके हैं !

नया कुछ होनेवाला है
मेरा दिल ये कहता है ,

परिंदे चहके चहके हैं
घटायें बहकी बहकी हैं !

खुश्बू तेरी आयी है
या कोई गुलिस्ताँ है यहाँ ?

नज़ारे बहके बहके हैं
हवाएं महकी महकी हैं !!
 

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