कभी न घबराना तुम गम के जंगल में , आएगा दिन गर रात है आई ! - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Sunday, December 23, 2018

कभी न घबराना तुम गम के जंगल में , आएगा दिन गर रात है आई !

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कभी न घबराना तुम
गम के जंगल में ,
आएगा दिन गर
रात है आई ,

विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !

सपने देखो ऐसे जो
तुम्हे आबाद करे ,
इस जीवन में हर बंधन
से आजाद करे !

लब पर अपने फरियाद
न तुम आने देना,
चाहे दुःख की घनी
बदली हो छाई !!

विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !

क्या ऐतबार मेरे प्यार
का तुम कर सकती हो ,
गर राहों में कांटे भी
मिले चल सकती हो ?

तो आओ रख दो हाथ
मेरे इन हाथो में ,
देखो कैसी बहार
बसन्ती पवन है लाई !

विश्वास  तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !

जीवन में खुशियाँ अपने
आप नहीं मिलती,
सागर से सीप की तरह
ही ढूंढ़नी है पड़ती !

कभी न रखना किसी
से कुछ भी उम्मीदें ,
कुछ मिल जाये तो उसमे
खुशियाँ बहुत समायी !!

विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !

कभी न घबराना
तुम गम के जंगल में ,
आएगा दिन
गर रात है आई !

विश्वास तू करना खुद
पर रब से भी ज्यादा ,
फिर होगी सुबह
गर शाम है आई !!

- रंजन कुमार

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