पसाकोलोजि भौजी का डिनर एक बड़े होटल में - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Saturday, August 10, 2019

पसाकोलोजि भौजी का डिनर एक बड़े होटल में - Ranjan Kumar

pasakoloji-bhauji

एक नम्बर का कंजूस और मक्खीचूस है ई हमरा बुड्ढा भतार,कबो न होटल ले जाता है खाना खिलाने न ही घर मे टिफिन मंगवाता है कभी ई फ़रोफ्रेसर..हमारी तो जिंदगी ही नरक बन गयी है इसके फेर में..!

#पसाकोलोजि_भौजी की यह आम शिकायत है जिसे सुन सुन के बेचारा #फ़रोफ्रेसर पक गया तो एक दिन उसने बड़ी मुश्किल से घना जोर लगाकर दिल को अपने मजबूत किया और ले गया होटल में पसाकोलोजि भौजी को ..

ठाट बाट देख के भौजी की आंखें चुंधियाए जा रही थी..बाप दादा न खएलक पान,दाँत निपोरले गेल प्राण ..भौजी को ई कहावत याद आने लग गया और मन ही मन खुश हो गयी ..

धन्य हैं हो मेरे बरेली वाले रोमांटिक देवर ..आपने मुझे यह वर नही दिया होता तो हम कबो होटल देख पाते का ऐसा ..मर गयी मम्मी हमारी,कबो नसीब हुआ उसको यह कि ऐसे अपने मरद संग ठसक से जाके होटल में टेबुल पर बैठे जहाँ रंग विरंगा ड्रेस पहीन के नौकर खाना खिला रहा है..

मगन हो गयी भौजी..ठीक है थोड़ा जोड़ीदार मरद होता तो और इतराती इहाँ पे उसके साथ ,जैसे उ सामने की टेबल वाली अपने मर्द को बात बात पर चुम्मा दिए जा रही गालों में ..मन तो पसाकोलोजि भौजी का भी कर रहा था अब कि हम भी कुछ करें ऐसा वैसा मगर ..लड़ाई हो जाएगा यहीं पर उसको मालूम भी है ..

ई बुढ़ऊ तो घर मे भी महीनों हमको चुम्मा नही लेता !पसाकोलोजि भौजी ने भी कभी पहल किया ड्यूटी जाते जाते उसके ..सोचती है कि थोड़ा रोमांटिक विदाई हो जाए ..तब भी भड़क जाता है साला किरानी का पूत,शर्ट ममोरा जाएगा,क्रीच खराब हो जाएगा ये क्या कर रही हो चली हटो ..ई सब हमको पसन्द नही है का का बोलने लगा था तब..हायर सोसायटी वाला बन गया है ई बड़का,हम गले लगेंगे अभी एकबार तो इस मुझउसे की क्रीच खराब होय रही ..ई सब सुनके भौजी का रोमांटिक मन भी उचट गया उससे,और तबसे तो हाय बाय करने भी नही जाती ..! 

तो यहाँ भी मन की ख्वाहिश दबा के बैठी रह गयी मन ही में पसाकोलोजि भौजी..तभी फ़रोफ्रेसर ने पूछ लिया,क्या खाओगी मैडम ..? ओय होय ..ई चालीस का बुड्ढा मर्द जब 24 साल की पसाकोलोजि भौजी को मैडम बोलता है न त भौजी खुद पर इतराने लगती है,हमारी मम्मी को कभी बोला क्या हमारे पापा ने मैडम ..नहीं न ..चलो कुछ तो हमको मिला ही है इसकी बीबी बन के ..

बाबा भी हमारे कभी अइसन होटल में नही आए हैं खाना खाने,खानदान से हम पहिले हैं जो इहाँ आए होंगे ..मगन हो रही खूब सोच सोच के यह ..तभी फरोफ्रेसर ने फिर पूछा,क्या मैडम बताइये न क्या खाना है ..?

अगल बगल टेबल पर देखी भौजी,कुछ पल्ले ही नही पड़ा कि कौन का खा रहा है..तो भौजी बोली फ़रोफ्रेसर को,जो आप खाएंगे न वही हम भी खा लेंगे जी ..! सबसे आसान रास्ता चुना भौजी ने,,

तभी फ़रोफ्रेसर ने बेटर को आवाज लगाकर पास बुलाया ..बेटर को पास आते देख पसाकोलोजि भौजी की उत्सुकता और उत्कंठा अब चरम पर थी,नही रहा गया इसलिए बोल पड़ी ..ए जी देखिए न..केतना सजल सँवरल है ई नौकर भी इहाँ पर ..आपसे भी जादे साफ कपड़ा में है और खूब जीट बूट में ..ई तो भले ही नौकर है इहाँ फिर भी आपसे ज्यादा खबसूरत रोमांटिक और मस्त दिख रहा है देखिए जरा ..आ रहा है ..! 

फ़रोफ्रेसर की त्योरियां चढ़ गई थी और आसपास के लोग कानाफूसी कर इनको घूरने लग गए थे ..फ़रोफ्रेसर ने महसूस किया ..होटल मैरिएट इन के डायनिंग रूम में बैठा हर कोई उसे घूर रहा है अब..गुस्से को काबू कर वेटर को उसने कहा,जाओ जल्दी से एक मीनू कार्ड और दो चाय ले आओ

चाय दो तो ठीक है पर मीनू कार्ड एक ही क्यों ..?पसाकोलोजि भौजी कन्फ्यूज थी ..समझ नही पायी कुछ तो वेटर से बोली नही एक नहीं मीनू कार्ड भी दो लेकर आना हम भी मीनू कार्ड ही चाय के साथ खा लेंगे ..

हर तरफ से हँसी का फव्वारा फुट पड़ा और फ़रोफ्रेसर धकियाता हुआ पसाकोलोजि भौजी को घर ले आया..तबसे दोनों भैया भौजी में मुँह फुलौवल चल रहा है और लाखों का सावन यूँ ही खत्म हुआ जा रहा पसाकोलोजि भौजी का हमारी ..


अब हम भी क्या कहैं भौजी..करम का फेर है सब ई,,किसकी गलती हम बतावें इसमे..असली गलती तो आपके पप्पा जुआरी पराजित मिसिर का है जिसने यह बेमेल बेजोड़ शादी करवाई है !


#पसाकोलोजि_भौजी उपन्यास से संकलित..क्रमशः जारी,, 

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