Hindi poetry on father's day : तुम्हारा अवशेष मुझमे जी रहा है शिद्दत से - Ranjan Kumar - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Sunday, June 16, 2019

Hindi poetry on father's day : तुम्हारा अवशेष मुझमे जी रहा है शिद्दत से - Ranjan Kumar



ओ पिता तर्पण तुम्हें..
चिर विश्राम करो तुम,,
परमात्मा की गोद में,

तुम शेष नहीं दुनिया में,
मगर तुम्हारा अवशेष
मुझमे जी रहा है ...
शिद्दत से !

खुद को देखता हूँ 
आईने में,
और सोचता हूँ..



मैं ऐसा हूँ ..
तो तुम कैसे रहे होंगे ?
होश होने पर..
मैंने तुम्हें नही देखा..!

जहाँ भी है रूह तेरी,
फादर्स डे पर आज,
वहाँ तक मेरा नमन पहुँचे..!

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