Poetry on Love - बेशुमार इश्क तुम्हें अब भी है मुझसे ! - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Wednesday, January 09, 2019

Poetry on Love - बेशुमार इश्क तुम्हें अब भी है मुझसे !

Dew-drops

सुबह सुबह
ओस की बूंदों पर
अब भी मै
कभी कभी ,
नंगे पाँव चलता हूँ ..!

महसूसता हूँ तुम्हें ..
तुम कहती थी ,
इससे ..
आँखों की रौशनी
खूब बढ़ती है ..!





देखकर बताओ मीत ..
मेरी आँखों में ,
अब भी वही नूर
बाकी है या नहीं ..
जो तुमने भरे थे सब ..!

सच के रंग
और न्याय की प्यास ..
प्रकृति का उल्लास
और करुणा की बूंदें .
सब सहेज कर रखा है,
अभी तक मैंने ..!

तुम तो देख सकती हो
अब हजार आँखों से ,
कण कण से,
तेरी खुश्बू से महमहाती
यादों की बगिया
अभी तक है मेरी ..!





थाम लेना हाथ ,
जो लडखडाऊँ कभी ..
चलना संग हरदम
बनके अहसास मेरा ..
मोहब्बत बिखेरे रखना
हर जगह अपनी ..!

तुम अहसास हो ,
जीवन में जीवन का ..
उल्लास हो,आभास हो,
साँसों के उपवन का ..
गीत हो सरगम हो
मधुमास हो जीवन का ..!

गीत में , संगीत में ,
और गहन प्रीत में
हर जगह तुम समाये हो !
कह जाते हो अब भी,
बेशुमार इश्क तो तुम्हें
अब भी है मुझसे !!

- रंजन कुमार

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