ब्लडी डॉग कहीं का - Part 02 - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Monday, January 07, 2019

ब्लडी डॉग कहीं का - Part 02

नये पाठकों के लिए आवश्यक सूचना .. इसे पढने से पहले नीचे दिए गये लिंक से Part - 01 पढ़ लें तब इस Part - 02 को समझ पायेंगे ..

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पिछले भाग से अब आगे ..


"ब्लडी बीच काहे बोला भौजी आपको .. कोई कारण भी बताया कि ..?" हमने पूछा पसाकोलोजी भौजी से .. पसाकोलोजि भौजी फिर से कपसने  लगी अब, तो हमको फिर से बुरा लगने लग गया .. हम नहीं चाहते पसाकोलोजि भौजी को कभी रोना पड़े .. और ये साला फरोफ्रेसर न .. बार बार कुछ न कुछ ऐसा ही उलटा करता है जिससे भौजी रो पडती हैं किस्मत को कोसते हुए अपने ..! 

पसाकोलोजि भौजी बोली .. " यह महापुरुष बोल रहा था कि कुत्ते कुतिया के प्रजनन का एक सीजन होता है साल में दो महीना .. नवम्बर से दिसम्बर तक .. तो हमको आज बोल के गया है कि तुम भी नवम्बर में जन्मी हो और तुम्हारी औलाद भी नवम्बर में ही हुयी .. तुम्हारी मम्मी भी दिसम्बर की ही पैदाइश हैं और तुम्हारे पापा भी .. यहाँ तक की तुम्हारी दादी भी इसी सीजन में पैदा हुयी है ..यू  ब्लडी बीच  .. खानदानी ब्लडी बीच ..!"

ओह ओ भौजी .. अफ़सोस है हमको आपको पति रूप में यह किरानी पूत मिला है जो खुद कुत्ते की तरह दुम हिला हिला कर अधिकारिओं की पत्निओं के घरेलू काम कर कर के उनकी सिफारिश पर असिस्टेंट फरोफ्रेसर बना है यह उम्र के ढलान पर , तो दिमाग अब हाथ में ही नहीं है, औकात से ज्यादा अगर किसी अयोग्य व्यक्ति को मिल जाय तो उसे उसको सहेजना भी नहीं आता है फिर .. और अब तो वह घमंड के घोड़े पर सवार है .. हायर सोसायटी वाला हूँ कहने लग गया अब खुद को ..!

इतनी गन्दी सोच और मानसिकता है आपके फरोफ्रेसर  की यह मत पूछिये .! इससे ज्यादा आप और कुछ उम्मीद भी नहीं कर सकती हैं ..! सोलह वर्ष की नाबालिग भांजी के साथ इसका बड़ा भाई चौबीस  साल की उम्र का रंगे हाथ दुष्कर्म करते पकडाया था .. उस वक्त आज के ये महापुरुष फरोफ्रेसर ,इसकी मम्मी और इसके किरानी बाप ने उस लडकी को ही दोष दे दिया था .. चश्मदीद गवाह थे भौजी आपके ये फरोफ्रेसर उस काण्ड के उसदिन .. सच का साथ नहीं दिया .. कानून का भी साथ नहीं दिया उसदिन .. क्योंकि कानून के तहत भी नाबालिग से यौन सम्बन्ध उसकी सहमति के बाद भी बनाया जाना दुष्कर्म ही था वह .. बलात्कार का मुकदमा दर्ज होना चाहिए था उस दिन भौजी .. मगर ये सब खानदानी दोगले लोगो ने मिलकर निर्णय लिया था एक सुर में .. उस भांजी की ही गलती है .. क्यों मामू को इतने करीब आने दी वह ..?? 

"चौबीस साल का वालिग़ भाई फरोफ्रेसर के एक 16 साल की नाबालिग भांजी से से अपने दुष्कर्म करता है जो रिश्ते में भांजी है फरोफ्रेसर की भी .. और इन सब महापुरुषों ने मिलकर इसे घर की इज्जत है लुट न जाए कहकर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराने दिया था भौजी .. फरोफ्रेसर  का वही भाई इसके पहले भी ऐसे कई छिछोरे कारनामे अपने दर्ज कर चुका था, वह कोई पहली घटना भी नहीं थी  .. फिर भी आपके ये महापुरुष पति उस वक्त उसके साथ खड़े हुए और सत्य को दफ़न कर दिया .. यही संस्कार में पला हो जो शख्स .. जिसकी परवरिश ही ऐसी हुयी हो उससे इससे ज्यादा की उम्मीद तो कर भी नहीं सकते भौजी .. हमको अचरज नहीं है इस सोच पर .. इसपर भी नहीं अब अचरज कोई कि वह आपको ब्लडी बीच बोला इस तरह से ..! "

"कम तो आपके पप्पा पराजित मिश्र भी नहीं है .. जिस घर में आपका व्याह किये उसी घर में हुए दहेज हत्या में दहेज हत्यारों को बचाने की दलाली खा खा के पैरवी किये हैं दिन रात .. कानून खरीदने का काम .. याद है न आपको .. अपनी खुद की चार बेटियाँ हो जिसकी वह उसी घर परिवार में हुयी एक दहेज हत्या के आरोपिओं को बचाने में लगता है .. बुरा नहीं मानियेगा भौजी मगर हम सच बोलने के लिए ही कुख्यात हैं .. जो हरकत आपके जुआरी पप्पा ने की है न .. यह हरकत कोई इंसान की औलाद कर ही नहीं सकता .. एक स्त्री के गर्भ से पैदा हुआ शख्स जिसकी खुद की चार चार बेटी हो कैसे कर सकेगा यह भला ?





क्यों उसे इसका डर नहीं सताया .. कल को यही लोग आपके साथ भी न कुछ गलत कर दें ..? किसी मजबूर गरीब बाप की एक बेटी .. दहेज के लिए .. फरोफ्रेसर के चचा के घर में मार दी गयी .. उस गरीब की बेटी के हिस्से का इन्साफ खरीदे हैं .. दलाली खाने के लिए .. आपके पप्पा ने .. भौजी .. थू है फरोफ्रेसर पर तो थू है आपके पप्पा पर भी , और थू है आपके फरोफ्रेसर के पिता .. दहेज हत्यारों के इस किरानी के खानदान पर भी  .. निश्चित रूप से आपके पप्पा तो कहीं न कहीं जरुर ही एक कुतिया के ही  गर्भ से पैदा हुए हैं .. एक स्त्री  ऐसे औलाद को जन्म दे कोई अगर तो उसके गर्भ को लानत है .. सबको थूकना चाहिए ऐसी कोख पर भी .. उस कोख का बंजर ही होना ठीक है .. काश वह कोख उस स्त्री की बंजर ही रहती तो ठीक था जिस कोख से ऐसी कुसंस्कारी और सब सडी गली औलादें पैदा हुयीं .. कोई शरीर से सडा हुआ तो कोई मानसिकता से .. सब के सब अपंग .. आपके पप्पा फुआ चचा .. सब के सब .. कभी सोचा है किन कर्मों की सजा मिली हुयी है आपके खानदान को भौजी ..? अब भी इतने खराब कर्म किये चले जा रहे आपके पप्पा ..?? !"

पसाकोलोजि भौजी कपसे जा रहीं थी और मै गुस्से में बोले जा रहा था .. मुझे दोनों ही बातो से क्षोभ है .. पसाकोलोजि भौजी के साथ अन्याय कर रहा फरोफ्रेसर उसपर भी और उसपर भी जो हरकत पसाकोलोजि भौजी के पप्पा ने करी है ! एक अक्षम्य अपराध मानवता के प्रति .. और निश्चित रूप से इस अपराध की कोई माफी नहीं है तो महाकाल इसका दंड जरुर देंगे .. यही मिल भी रहा है .. पसाकोलोजि भौजी को दिन रात की मानसिक हरारत .. एक बेमेल शादी .. और दिन रात की किचकिच ..!

"ए देवर जी .. आप सही हैं मगर अभी आप गुस्सा शांत करिए अपना हमरे पप्पा के कारनामों के लिए .. वो तो हैं ही न .. जो भी आप कहिये उनको .. हम पहले ही बोले न .. वही ठीक होते तो आज हमारा यह हाल होता .. हमको सब बताइए तो फरोफ्रेसर  के घर के पूरा कहानी .. हमको कुछ नहीं मालूम है इ सब .. इसके भाई बाप का पूरा इतिहास हमको बताइए ज़रा .. लेकिन सबसे पहले तो हमारे फरोफ्रेसर का अभी कोई उपाय बताइए .. आते ही उसके मुंह पर खींच के तमाचा मार सकें हम आज कुछ ऐसा बताइए पहले .. उ हमको गाली देकर गया है हरामी सुबह सुबह ही .." पसाकोलोजि भौजी ने कपसते हुए कहा हमसे ...!

सब तरफ बिखरी अपनी ऊर्जा को समेटते हुए मैंने खुद के मन से कहा .. महाकाल का चक्र घूम रहा है और वह इन्साफ पर आमादा हैं अब .. शुरू हो गया है तांडव फरोफ्रेसर और पसाकोलोजि भौजी के बीच ..राम मिलाए  जोड़ी .. एक अंधा एक कोढ़ी  कहावत यहाँ ठीक बैठी है ...! जो एक दूसरे  से जुड़े हैं सब चुनचुन के जोड़े गये हैं .. सब एक से बढ़ के एक है .. सब परले दर्जे के स्वार्थी .. सब खुद ही कट मरेंगे अब, यकीन है मुझको महाकाल के निर्णय और समय  चक्र पर  ..! 

अब भौजी को हमने उपाय बताया .. जैसे ही आ जाय घर में फरोफ्रेसर ..आप भी यह सब कह दीजिये उसको उतने ही जोर से .. एकदम से शब्द शब्द यही .. याद कर लीजिये पसाकोलोजि भौजी .. हम लिख के व्हाटस अप्प कर  देते हैं आपको .. और आपको इसकी खानदानी कहानी भी हम बतावेंगे फुर्सत से जरुर ..! पसाकोलोजि भौजी को हमने मेसेज किया जो उनको डायलोग मारना था आज शाम को फरोफ्रेसर के आते ही .. वह खूब खुश हो गयीं .. खूब खुश ..!




पसाकोलोजि भौजी ने हमको इसी दिन शाम में फिर फोन किया और बोलीं .. ए देवर जी .. आ गया फरोफ्रेसर .. सुनते  रहिये आप वह सब जो हम आपके बताये डायलोंग बोलके उसका अभी आते ही जवाब देंगे .. सुनके कॉल काट लीजियेगा .. हम विस्तर पर फोन रख रहे हैं .. फोन चालू है .. फरोफ्रेसर जैसे  ही घर में घुसा पसाकोलोजि भौजी उसपर बरस पड़ी इन  शब्दों में ..

"यू डॉग .. यू ब्लडी डॉग .. खानदानी डॉग .. दुम हिला हिला के अपनी नौकरी पानेवाला डॉग .. कुतिया का तो सीजन होता है .. बिलकुल ठीक .. लेकिन सीजन सिर्फ दो महीने ही नही होता .. एक सप्ताह तक जनवरी में भी होता है .. प्लस सात  दिन .. क्योंकि कुत्तो को अक्सर समझने में यह एक सप्ताह और लग जाता है की अब सीजन कामक्रिया का खत्म .. तो जो कुतिया थोड़ी देर से आखिरी में गर्भवती होती है सीजन जाते जाते वह सात दिन तक जनवरी में भी बच्चे पैदा करती है महापुरुष .. तो विचार करो जरा  अब तू भी उसी में जन्मा तेरा बाप भी उसी में जन्मा और अगर मेरे बच्चे के पिता हो तुम अगर यह मानते हो और कन्फर्म हो फरोफ्रेसर खुद के मर्दानगी पर तुमको खुद ही  शक न हो अगर तो .. जिसे मैंने जन्म दिया वह तेरी औलाद भी जन्मी इसी सीजंन में .. तो अगर मै बीच .. ब्लडी बीच .. तो तुम भी डॉग .. ब्लडी डॉग .. खानदानी ब्लडी डॉग ..!"  

हमने फोन काट दिया इतना सुनके .. वैसे ही बोली भौजी जैसे हम चाहते थे ..फरोफ्रेसर  बेचारा सन्नाटे में था .. जैसे को तैसा जो मिल गया है आज ..!!

संकलित अंश मेरे उपन्यास से .. पढ़ते रहिये ..



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