वह फिर चला गया फेंककर उजाला अपना - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Monday, December 24, 2018

वह फिर चला गया फेंककर उजाला अपना

Sun-Set

वह फिर चला गया फेंक कर
सारा दिन उजाला अपना ,

मेरे खुद के अंधेरों ने उसे 
फिर से नजरअंदाज किया !

कुछ तो कह रहा था वह मुझे 
डूबते वक़्त भी धीमे धीमे ,

मेरे गुमान के शोर में कुछ
भी मगर मैं सुन न सका !!

- रंजन कुमार 

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