कर्ण और एकलव्य की कीमत पर बनता है अर्जुन महारथी - Ranjan Kumar Dil ❤ Se - Poetry and Works of Ranjan Kumar

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Friday, December 21, 2018

कर्ण और एकलव्य की कीमत पर बनता है अर्जुन महारथी

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महान धनुर्धर अर्जुन 
जब कुरुक्षेत्र के मैदान में,
गांडीव हाथ में लिए ..
अपनी श्रेष्ठता पर 
कभी इठलाता रहा होगा,
उसकी नजरों के सामने 
एकलव्य का  कटा अँगूठा,
उसकी सफलताओं को 
अंगूठा दिखाते हुए ..
उसकी खुशिओं पर 
मुस्कुराता भी तो रहा होगा !

दूर खड़ा एकलव्य
चुनौती न होते हुए भी,
अर्जुन की राह में
अँगूठे का दान देकर
ऐसी चुनौती है ,
जिसके आगे अर्जुन का
हर पुरुषार्थ बौना रहेगा
युगों युगों तक !

एकलव्य और  कर्ण पैदा होते हैं
नैसर्गिक प्रतिभा लिए,
पर अर्जुन गढ़ा जाता है
कर्ण और एकलव्यों की कीमत पर !

इतिहास पुरुष तो
इतिहासकार शिखण्डी को भी
बना देते हैं,
और अर्जुन को भी ..!
एकलव्य  इतिहास के
पन्नों पर
अर्जुन से कहीं आगे खड़ा है ,
और अर्जुन ,
अर्जुन समकक्ष है शिखण्डी के,
पीछे छुप के शिखंडी के ..!

और शिखण्डी ..
वह सिर्फ मुस्कुराता है 
अर्जुन को देखकर !
कर्ण और एकलव्य की 
बलि लेकर बनता है अर्जुन महारथी !!

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